:: For Elder Sister ::
बंद आंखों से, लाल अंधियारे में
देखा एक ख्वाब था मैनें
पलक खुले और मैं स्वयं को पाउं
तेरे ममत्व, तेरे स्नेह तले
हो न सका ये ख्वाब पूरा
पलक खुली पर तुम न थी वहां
घूरा था सबको मैनें
मासूमियत भरी अपनी निगाहों से
जब मैनें पहला कदम बढाया
तब भी न पाया तुमको वहां
चाहत थी मेरी भी कि
मां संग थामो तुम हाथ मेरा
जब लड़ख़ड़ाती जुबां से मां कहा
थी खुशी पर कुछ अधूरी
इंतजार किया कि तुम आओ वहां
पर यह जुबां ‘दी’ न कह पाई कभी
अब था समझदार पर मासूम फिर भी
दुनिया को देखता,दुनिया को जानता
देखा बहनों को भाइयों का हाथ थामे
पर तुम न थी वहां हाथ बढानें
गुजरा वक्त यूं हीं बिन तुम्हारे
सूने हाथों, नम ख्वाबों में
मांगा खुदा से बस यहीं कि
हो मेरी बहना जो कभी थामे हाथ मेरा
देर से ही सही पर सुनी उसने
आज हुई यह चाह पुरी
आज है तेरा ममत्व, तेरा स्नेह मुझ पर
अब मैं भी हूं भाग्यशाली कहनें को ‘दी’
By - भरत चौधरी (प्रियंका दी के लिए)
:: And for Younger Sister ::
How can a delicate flower remain?
When His unloving winds impair Her stem
The sun fades, the sky’s black, with pouring rain
And yet still she retreats right back to him.
His sun rays burn and her petals do fall.
She smiles but no delight behind her eyes.
She blocks his storm, but can not block it all.
Her fragile green leaves are frail from his lies.
Yet his rain pours before her stem drops dead
Mature, and lovely she sways like a queen.
A stunning flower, with many tears shed.
Any time, on my shoulder she can lean.
But just like me, she stays for the twister.
I’ll never change the love for my sister.